ये हैं दुनिया के पांच सबसे ताकतवर हार्स , खूबसूरती पर हर कोई हो जाता है फिदा

समय का पहिया तेजी से घूम रहा है, आज हजारों मील का सफर घंटों में तय किया जा सकता है लेकिन सिर्फ 70 साल पीछे जाते हैं तो सबसे अहम और अच्छे सफर का साधन सिर्फ घुड़सवारी ही हुआ करती थी। तक हार्स का अहम रुतबा हुआ करता था। माना जाता था जितना अच्छा राजा होगा, उसका हार्स उतना ही शानदार होगा। हम आपको अपनी इस रिपोट में पांच ऐसे ताकतवर घोड़ों की नस्लों के नाम बताएंगे जो आज भी अपने-आप में अनोखे हैं। इन घोड़ों के दीवाने दुनिया के हर कोने में मिल जाएंगे।

नंबर एक- अख़ल-टेके हार्स


एक तुर्कमेन घोड़े की नस्ल है। उसकी स्पीड, समझदारी और सहने की शक्ति अन्य घोड़ों की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। यही वजह है कि इन घोड़ों को लोग काफी पसंद करते हैं। इसकी सबसे बड़ी खूबी ये है कि जब दूर से इस घोड़े को देखा जाता है तो वो चमकता हुआ दिखाई देता है। इसी वजह से इस घोड़े को गोल्डन हॉर्स भी कहा जाता है। अख़ल टेके संभवतः तुर्कमान घोड़े के नाम से जानी जाने वाली पुरानी नस्ल का वंशज है, और कुछ का दावा है कि यह वही नस्ल है। तुर्कमेनिस्तान की जनजातियों ने चुनिंदा घोड़ों को पाला, उनकी वंशावली को मौखिक रूप से दर्ज किया और छापेमारी के लिए उनका इस्तेमाल करते थे। इस नस्ल का उपयोग रूसी साम्राज्य के खिलाफ हारने वाली लड़ाई में किया गया था और इसे अपने देश के साथ साम्राज्य में शामिल कर लिया गया था। तुर्कमान ने आधुनिक वार्मब्लड सहित कई अन्य नस्लों को प्रभावित किया है। आज भी इस घोड़े की मांग दुनिया में सबसे ज्यादा है।

नंबर दो – अमेरिकन बश्किर कर्ली हार्स


यह घोड़े की एक उत्तरी अमेरिकी नस्ल है, इस घोड़े की खासियत ये है कि इसके पूरे शरीर पर घुंघराले बाल होते हैं। यह इबेरियन मूल के अमेरिकी घोड़ों की उत्पत्ति माना जाता है। अमेरिकन बश्किर कर्लीज अपने शांत, बुद्धिमान और मिलनसार व्यक्तित्व के लिए जाने जाते हैं। वे आसानी से प्रशिक्षित होने वाला स्वभाव दिखाते हैं। वे काफी ताकतवर और बहुत अधिक सहनशक्ति वाले होते हैं । अधिकांश लोगों ने पाया है कि घुंघराले बालों को लोगों के आसपास रहना अच्छा लगता है। दावा किया जाता है कि कर्ली एकमात्र हाइपोएलर्जेनिक घोड़े की नस्ल है। घोड़ों से एलर्जी वाले अधिकांश लोग बिना किसी एलर्जी के इस घोड़ों को रख सकते हैं। कर्ली की विशेषता लंबी डग और साहसिक चाल है। उनके खुर सख्त, हड्डियाँ मजबूत और असाधारण सहनशक्ति होती है।

नंबर तीन -ब्लैक फॉरेस्ट हार्स


ये घोड़े आमतौर पर जर्मन में पाए जाते हैं। इस घोड़े को जर्मनी की शान भी कहा जाता है। ये दुनिया के सबसे ताकतवर घोड़ों में एक होते हैं। ये जर्मनी में पहले खेती के साथ सैन्य कारवाईयों में शामिल किए जाते थे। नाजी काल में इस घोड़े को सबसे अहम माना गया था। नाजी काल के बाद फ्रंासीसियों ने भी इस घोड़े को काफी सम्मान दिया था। इन घोड़ों के शरीर पर लंबे-लंबे बाल होते है। कहा जाता है कि ये घोड़े 20 से 25 आदमियों को लेकर अकेले कई घंटे चल सकते है। मौजूदा समय में इस घोड़े का प्रयोग पोलो खेलने में किया जाता है। कुछ जगहों पर ये घोड़े रेसिंग प्रतियोगिता का भी हिस्सा होते हैं। ब्लैक फॉरेस्ट हॉर्स हल्के से मध्यम वजन का, अच्छी मांसपेशियों वाला और छोटी और शक्तिशाली गर्दन वाला एक ड्राफ्ट घोड़ा है। सिर छोटा और सूखा है, कंधे झुके हुए हैं, पैर साफ, खुर चैड़े और मजबूत होते हैं।

नंबर चार- केमरग हार्स

यह फ्रांस में पाया जाने वाला सफेद रंग का बेहद खूबसूरत घोड़ा है। किस्सों-काहानियों में आपने परियों के देश से आए सफेद घोड़ों की कहानी सुनी होगी। ये घोड़े ठीक वैसे ही है। कोई भी इन घोड़ों को देखकर इनपर फिदा हो सकता है। खासतौर से जब ये समूहों में खड़े हों तो हर कोई इन घोड़ों को देखना चाहेगा। माना जाता है कि कैमरग क्षेत्र की मूल निवासी इसका उपयोग पारंपरिक रूप से मवेशियों के काम के किया करते थे। इसको घोड़ेे की प्राचीन नस्ल में से एक माना जाता है। कुछ शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि कैमारग ऊपरी पुरापाषाण काल ​​के दौरान शिकार किए गए प्राचीन सोलुट्रे घोड़े के वंशज हैं। कैमरग नस्ल की सराहना सेल्टिक और रोमन आक्रमणकारियों ने की थी जिन्होंने इबेरियन प्रायद्वीप में प्रवेश किया था। अब इन घोड़ों का प्रयोग रेस, घुड़सवारी समेत खेलों में भी प्रयोग किया जाता है। फिल्मों में इन घोड़ों की मांग सबसे ज्यादा है।

नंबर पांच – हैकनी हार्स


ये मजबूत कद-काठी का सुंदर और बेसिमाल घोड़ा है। आमतौर पर ये गहरे भूरे रंग का ही होता है। ये लंबे समय तक तेज गति से चल सकता है। मतबल की ये एक बार में 100 मील का सफर तेज गति के साथ तय कर सकता है। माना जाता है कि ये घोड़ा एक घंटे में 25 से 30 किमी दौड़ लगाता है। इसकी सहनशक्ति भी अन्य घोड़ों की अपेक्षा बहुत अधिक होती है। इंग्लैंड ने इस प्रजाति के घोड़ों को अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाने के लिए किया था। 14वीं शताब्दी में नॉरफॉक में इस घोड़े की प्रजाति को विकसित किया गया, जब इंग्लैंड के राजा को उत्कृष्ट चाल वाले शक्तिशाली लेकिन आकर्षक घोड़ों की आवश्यकता थी, 1542 में राजा हेनरी अष्टम ने अपनी प्रजा से इस घोड़े को अपने घरों में रखने की सलाह दी थी। आज भी दुनिया की मार्केट में इस घोड़े की कीमत 8 से 9 लाख रुपए है। इन घोड़ों को अब खेल, घुड़सवारी और रेसिंग प्रतियोगिता में लिया जाता है। साथ ही ये यूरोप के चर्चित घोड़ों मंे एक है। इस घोड़े की सबसे खास बात ये है कि इस नस्ल ने ग्रेट ब्रिटेन के इतिहास में अहम योगदान दिया है। कभी ब्रिटिश राज में सूरज न डूबने के पीछे इस घोड़े का भी अहम योगदान है।

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